तुम अपने घर में उजालों को लाज़िमी रखना,
न हों चिराग़ मयस्सर तो चाँदनी रखना |
हरेक शख़्स ने रक्खी है मौत रस्ते पर,
तुम्हारे पास अगर हो तो ज़िन्दगी रखना |
सबक़ वो सीख के आया है ये भी सहरा से,
कि होंठ प्यासे रहें आँख में नदी रखना |
हवाएँ आएँगी खिड़की से प्रार्थना बनकर,
शिवाले की तरह तुम घर में ख़ामुशी रखना |
वो गुदगुदाने से हँस देगा भोला बालक है,
तुम उसको बूढ़े लतीफ़ों से दूर ही रखना |
मशीनी दौर में बदलोगे तुम हर इक शय को,
मगर जो आदमी है, उसको आदमी रखना |------------ज्ञान प्रकाश ‘विवेक’